एक ग़लतफ़हमी
नमस्ते दोस्तों
उम्मीद करता हूँ आप सभी खुश होंगे। बहुत दिनों से मैंने कुछ लिखा नहीं था और अंदर भारीपन महसूस कर रहा था। मेरे पिताजी का स्वर्गवास कुछ दिनों पहले 21.08.2017 को हो गया. ये बहुत ही दुखभरा समय था मेरे और मेरे परिवार के लिए। कुछ वर्षो पहले भी मेरे ताऊजी का स्वर्गवास हुआ था और मरणोपरांत संस्कारो में एक संस्कार गरुड़ पुराण का भी होता है। अगर आप में से कोई नहीं जानता हो तो बता दू की गरुड़ पुराण एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे भगवान विष्णु उनकी सवारी गरुड़ को मृत्य के बाद क्या क्या होता है उसकी विस्तृत जानकारी दे रहे है।
जब मेरे ताऊजी का देहांत हुआ था तब मेरे उम्र तक़रीबन 15 साल थी और वो एक ऐसा समय था जब मैं दिन रात बस हकलाहट के बारे में ही सोचता रहता था। तो जब मेरे ताऊजी की मरणोपरांत गरुड़ पुराण पढ़ी जा रही थी तो मैंने उसमे सुना "जो लोग पिछले जन्म में बहुत झूठ बोलते है वो अगले जन्म में हकलाते हैं". ये बात मेरे दिलो - दिमाग में घर कर गयी और मैं अगले कई वर्षो तक खुद में बोलता रहा जरूर मैंने पिछले जन्म में बहुत झूठ बोले होंगे इसलिए मै इस जन्म में हकला रहा हूँ।
इस बार मेरे पिताजी के देहांत पर गरुड़ पुराण पढ़ी जा रही थी तो मै सोच रहा था वही वाक्य फिर दोहराया जायेगा और मै उसे सुनना चाहता था ताकि मैं समझ सकूँ आखिर ऐसा क्यों लिखा गया हैं ? मैं उसे सुनने की लालसा में सबसे आगे बैठता था। मै बेसब्री से उस वाक्य का इंतज़ार कर रहा था. पहला दिन गुज़रा और वो वाक्य नहीं आया, फिर दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा और इस तरह पुरे बीत गए और गरुड़ पुराण पूरी पढ़ी गई लेकिन वो वाक्य नहीं आया। मै सोचता रहा कि क्या गरुड़ पुराण बदल गयी है?
अब इससे मेरे दिमाग से एक और गलतफहमी निकल गई कि पिछले जन्म से इस जन्म का हकलाहट को लेकर कोई वास्ता नहीं है। लेकिन फिर ऐसा क्यू हुआ की उस नादान उम्र में मैंने ऐसा सोचा ?
इस सवाल की लिए सभी के अलग अलग मत हो सकते हैं.मुझे मेरे मत पता हैं और बाकि मै आप लोगों की लिए ये सवाल छोड़ता हूँ।
आपका अपना
रवि कांत शर्मा
9461257111
4 comments:
हम सबकी दुआएं आपके साथ हैं..इस घडी में |
Condolences to your father ravi. Be Strong.
भगवान् आपके पिताजी की आत्मा को शांति दें , और आपको इस दुःख की घड़ी में हौसला दें।
रविकांत जी, आपके आदरणीय पिताजी को सादर नमन एवं श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। मैंने खुद महसूस किया है कि जीवन में सिर्फ अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाते जाना ही सच्चा जीवन है। बिना किसी से कोई अपेक्षा किए... माता-पिता हमें सबकुछ सिखा-समझाकर एक दिन अलविदा हो जाते हैं। लेकिन उनकी यादें और आर्शीवाद हमेशा हमारे साथ रहता है। तीसा के हम सब साथी दुःख की इस घड़ी में आपके और आपके परिवार के साथ हैं। धन्यवाद।
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